अनुरागिणी यक्षिणी यंत्र से प्राप्त होने वाले अद्वितीय लाभ
इस यंत्र को ११०० अनुरागिनी यक्ष्णी मंत्र से सिद्ध किया गया है। अनुरागिणी यक्षिणी यंत्र एक दिव्य और शक्तिशाली यंत्र है जिसका प्रयोग मुख्य रूप से प्रेम, आकर्षण और व्यक्तिगत संबंधों में सुधार के लिए किया जाता है। यह यंत्र देवी अनुरागिणी यक्षिणी की कृपा प्राप्त करने के लिए बनाया जाता है, जो प्रेम और आकर्षण की देवी मानी जाती हैं। इस यंत्र की साधना और पूजन से साधक अपने जीवन में प्रेम, सुख और समृद्धि की प्राप्ति कर सकता है।
अनुरागिणी यक्षिणी यंत्र के लाभ
- प्रेम में सफलता:
- इस यंत्र की साधना से प्रेम संबंधों में सफलता प्राप्त होती है।
- आकर्षण शक्ति में वृद्धि:
- यंत्र की पूजा से व्यक्ति की आकर्षण शक्ति बढ़ती है, जिससे लोग उसकी ओर आकर्षित होते हैं।
- वैवाहिक जीवन में सुख:
- विवाहित जीवन में शांति और आनंद आता है, और पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है।
- विवाह योग्य व्यक्तियों के लिए लाभकारी:
- अविवाहित व्यक्ति को योग्य और इच्छित जीवनसाथी प्राप्त होता है।
- संबंधों में मधुरता:
- सभी प्रकार के संबंधों में मधुरता और प्रेम का संचार होता है।
- समस्याओं का समाधान:
- व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याओं का समाधान होता है।
- अवांछित बाधाओं का नाश:
- प्रेम और वैवाहिक जीवन में आने वाली अवांछित बाधाओं का नाश होता है।
- स्वास्थ्य में सुधार:
- मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, जिससे व्यक्ति ऊर्जा और उत्साह से भरपूर रहता है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि:
- आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान में वृद्धि होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति:
- साधना से आध्यात्मिक उन्नति होती है और देवी अनुरागिणी यक्षिणी की कृपा प्राप्त होती है।
- आर्थिक समृद्धि:
- आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन-सम्पत्ति की प्राप्ति होती है।
- समाज में मान-सम्मान:
- व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
अनुरागिनी यक्षिणी यंत्र की पूजा का उपयुक्त दिन
अनुरागिणी यक्षिणी यंत्र की पूजा का सबसे उपयुक्त दिन शुक्रवार माना जाता है। शुक्रवार को देवी लक्ष्मी और सभी यक्षिणियों की पूजा की जाती है। विशेषकर, पूर्णिमा और शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि भी इस यंत्र की पूजा के लिए शुभ मानी जाती है।
पूजा विधि
- स्नान और शुद्धि:
- सबसे पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान की तैयारी:
- पूजा स्थान को साफ करें और वहाँ यंत्र को स्थापित करें।
- दीप जलाना:
- दीपक जलाएं और धूप-दीप से यंत्र की आरती करें।
- मंत्र जाप:
- “ऊं ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं नमः” मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।
- प्रसाद अर्पण:
- यंत्र को पुष्प, फल, मिठाई और अन्य नैवेद्य अर्पित करें।
- ध्यान और प्रार्थना:
- ध्यान मुद्रा में बैठकर देवी अनुरागिणी यक्षिणी की प्रार्थना करें और उनकी कृपा की याचना करें।
Anuragini yakshini Mantra- “ॐ ह्रीं क्लीं अनुरागिनी यक्षिनेय कार्य सिद्धिं देही नमः” “OM HREEM KLEEM ANURAGINI YAKSHINEYA KARYA SIDDHIMM DEHI NAMAHA”