अंतर्ज्ञान शक्ति शक्ति को बढाने वाली पंचांगुली दीक्षा उन लोगो के लिये बहुत उपयोगी है, जो एस्ट्रोलोजी, हस्तरेखा शास्त्र, नंबरोलोजी, टैरो रीडिंग, रेकी, प्राणिक, एंजल थेरिपी, आध्यात्मिक उपचार के क्षेत्र मे हो, जिसका उद्देश्य भविष्य की भविष्यवाणियाँ करना होता है या अध्यात्मिक उपचार करना होता है। इस साधना में पंचांगुली देवी की उपासना की जाती है, जो ज्योतिष और भविष्यवाणी की देवी मानी जाती हैं। इस दीक्षा से साधक को दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है, जिससे वह भविष्य की घटनाओं का सटीक अनुमान लगाने मे मदत मिलती है। पंचांगुली साधना करने से व्यक्ति की मानसिक शक्ति और अंतर्ज्ञान में वृद्धि होती है, जिससे उसकी भविष्यवाणी करने की क्षमता मजबूत होती है। इस दीक्षा से साधक को आत्मविश्वास और स्थिरता प्राप्त होती है, जो उसे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सही निर्णय लेने में सहायता करती है।
पंचांगुली दीक्षा के लाभ:
- भविष्यवाणी की क्षमता: इस दीक्षा के माध्यम से साधक को भविष्य की घटनाओं का सटीक अनुमान लगाने की शक्ति प्राप्त होती है।
- मानसिक शक्ति का विकास: पंचांगुली दीक्षा से साधक की मानसिक शक्ति और एकाग्रता में वृद्धि होती है।
- अंतर्ज्ञान में वृद्धि: इस दीक्षा से व्यक्ति का अंतर्ज्ञान प्रबल होता है, जिससे वह सही और गलत का निर्णय आसानी से कर सकता है।
- सही निर्णय लेने की क्षमता: दीक्षा से निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है, जिससे वह जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय सही समय पर और सही तरीके से ले पाता है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: पंचांगुली दीक्षा से साधक का आत्मविश्वास बढ़ता है, जिससे वह जीवन की चुनौतियों का सामना दृढ़ता से करता है।
- आध्यात्मिक विकास: इस दीक्षा के नियमित अभ्यास से साधक का आध्यात्मिक विकास होता है, जिससे उसकी आत्मा और मन की शांति प्राप्त होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार: व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे वह हर स्थिति में सकारात्मक सोच बनाए रखता है।
- सामाजिक मान्यता: दीक्षा से प्राप्त भविष्यवाणी की क्षमता के कारण साधक को समाज में विशेष मान्यता और सम्मान प्राप्त होता है।
- रोगों से मुक्ति: पंचांगुली दीक्षा से व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, जिससे वह रोगों से मुक्त रहता है।
- समस्याओं का समाधान: साधक जीवन की विभिन्न समस्याओं का समाधान खोज सकता है, जिससे उसका जीवन सुगम और सुखमय बनता है।
इस दीक्षा को लेने बाद साधक पंचांगुली मंत्र का जप विधिवत रूप से कर सकता है।