उन्मत्त भैरव साधना
पाप को नष्ट करने वाले उन्मत्त भैरव, भगवान शिव के अन्तर्द्वन्द्व (inner conflict) का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनके विकट रूप को दर्शाते हैं। उन्मत्त भैरव की साधना करने से व्यक्ति के मन मे शांति और स्थिरता मिलती है वही सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता बढती है।
उन्मत्त भैरव साधना के लाभ
- मन की शांति: उन्मत्त भैरव की साधना करने से मन की शांति और स्थिरता मिलती है। यह व्यक्ति को चिंताओं और तनाव से दूर ले जाता है।
- सामंजस्य और एकाग्रता: साधना करने से व्यक्ति को अपने अंतर्मन की सामंजस्य और एकाग्रता मिलती है, जिससे वह अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में समर्थ होता है।
- आत्म-ज्ञान: उन्मत्त भैरव की साधना से व्यक्ति को आत्म-ज्ञान की प्राप्ति होती है, जिससे वह अपने असली स्वरूप को समझता है।
- क्रियाशीलता: यह साधना व्यक्ति को क्रियाशील बनाती है और उसे सक्रिय जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करती है।
- मानसिक स्थिरता: इस साधना से व्यक्ति की मानसिक स्थिरता में सुधार होता है और वह अपने विचारों को नियंत्रित करने में सक्षम होता है।
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