रुरु भैरव साधना एक प्रमुख साधना मानी जाती है। रुरु भैरव की साधना करने से व्यक्ति को उच्च स्तर की ऊर्जा, आत्मा की शक्ति, और आत्म-ज्ञान की प्राप्ति के साथ भौतिक सुख व इच्छायें भी पूरी होती है।
- ध्यान: रुरु भैरव की मूर्ति या चित्र को ध्यान में धारण करके उनकी साधना की शुरुआत की जा सकती है। ध्यान के दौरान भैरव के रूप को स्पष्ट दर्शाने के लिए मंत्र जाप भी किया जाता है।
- मंत्र जाप: रुरु भैरव के लिए किसी विशेष मंत्र का जाप किया जा सकता है। इसके लिए “ॐ भ्रं रुरु भैरवाय नमः” “OM BHRAMM RURU BHAIRAVAAY NAMAHA” मंत्र का उच्चारण किया जाता है।
- पूजा: रुरु भैरव की पूजा करने से भैरव के इस रूप की कृपा मिलती है। इसमें पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, चंदन, रक्त, आदि से पूजा की जाती है।
रुरु भैरव साधना के लाभ:
- आत्म-ज्ञान और संयम: रुरु भैरव साधना करने से व्यक्ति को आत्म-ज्ञान और संयम की प्राप्ति होती है। यह उसे अपने आत्मा को समझने और नियंत्रित करने में मदद करता है।
- मनोबल और साहस: रुरु भैरव की साधना से व्यक्ति को मनोबल और साहस मिलता है। वह अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित होता है।
- भय का नाश: रुरु भैरव की साधना से भय का नाश होता है। व्यक्ति को भय मुक्त और स्थिर महसूस होता है।
- रोग निवारण: रुरु भैरव की साधना से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है। यह उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है।
- सफलता: रुरु भैरव साधना करने से व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलती है। उसे अपने लक्ष्यों और मानविकी में सफलता प्राप्त करने की प्रेरणा मिलती है।
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