बुधाष्टमी व्रत पूजा
बुधाष्टमी व्रत पूजा का आयोजन हर मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस व्रत में बुध ग्रह की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य, चन्दन, कुंकुम, अभिषेक आदि से अत्यधिक सम्मानित किया जाता है। यह व्रत सुख, समृद्धि, और संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले व्रती भगवान की कथा सुनते हैं और उनके चरणों में पूजा-अर्चना करते हैं। इस व्रत को करने से व्रती के जीवन में समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।
बुधाष्टमी व्रत पूजा के लाभ
- समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
- परिवार में शांति और समृद्धि आती है।
- बुद्धि और विवेक शक्ति में वृद्धि होती है।
- शांति और सकारात्मकता का अनुभव होता है।
- नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
- स्वस्थ और प्रसन्नता की स्थिति बनी रहती है।
- सामाजिक स्थिति में सुधार होता है।
- मनोवैज्ञानिक स्थिति में सुधार होता है।
- कामना और इच्छाशक्ति में वृद्धि होती है।
- सफलता और उच्च स्थान प्राप्ति का मार्ग खुलता है।
- नेगेटिव ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
- बुद्धि और ज्ञान की वृद्धि होती है।
- व्यापार में उन्नति होती है और लाभ मिलता है।
- आत्मविश्वास और सकारात्मक भावना विकसित होती है।
- विवाहित जीवन में सम्मान और सुख मिलता है।
- जीवन में खुशियों का सामर्थ्य बढ़ता है।
- अन्य लोगों की मदद करने की भावना विकसित होती है।
- विचारों में स्पष्टता और निष्कर्षता आती है।
- विद्या और ज्ञान में वृद्धि होती है।
- भगवान बुद्ध की कृपा से जीवन में सफलता मिलती है।
यह पूजा योग्य पंडित द्वारा ही हम करवाते हैं, और हम इस पूजा को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से करवाते हैं।