श्री वृक्ष नवमी पूजा
श्री वृक्ष नवमी पूजा वैष्णव समुदाय में मान्यता प्राप्त है और इसे चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन वृक्षों की पूजा की जाती है, खासकर पीपल और नीम के पेड़ों की। वृक्ष नवमी को मनाने से प्राणी और पृथ्वी पर जो भी वृक्ष होते हैं, उनको बुराई से मुक्ति मिलती है। यह पर्व वृक्षों की रक्षा और संरक्षण का भी संकेत है। लोग इस दिन वृक्षों की पूजा करते हैं, उन्हें सजाकर और पुष्प-पात्रों से अर्चित करके। इस दिन का उद्देश्य प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने और पर्यावरण की रक्षा करने का है।
श्री वृक्ष नवमी पूजा के लाभ
- प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है।
- वृक्षों की रक्षा और संरक्षण में सहायता होती है।
- पूर्वजो की आत्मा मुक्त हो जाती है
- वंश परंपरा बढने मे मदत मिलती है।
- वृक्षों की उम्र और वृद्धि में वृद्धि होती है।
- परिवार के क्लेश नष्ट होने लगते है।
- वृक्षों की पूजा से स्वस्थ्य और ऊर्जावान रहने में मदद मिलती है।
- आत्मा और पर्यावरण के बीच संबंध में संवेदनशीलता बढ़ती है।
- धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- परिवार में शांति और समृद्धि की स्थिति बनी रहती है।
- वृक्षों की पूजा से धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- आत्मा की शुद्धि और साधना में सहायता मिलती है।
- वृक्षों की पूजा से नकारात्मक ऊर्जा का निषेध होता है।
- वृक्षों की पूजा से समृद्धि और उन्नति का मार्ग प्रकट होता है।
- इस पूजा से वृक्षों की महत्वपूर्णता और उनका संरक्षण करने की जिम्मेदारी का आभास होता है।
- वृक्षों की पूजा से समृद्धि, सुख, और सम्मान की प्राप्ति होती है।
- वृक्षों की पूजा से पर्यावरण संरक्षण और सुरक्षा के लिए संकल्प बनता है।
- वृक्षों की पूजा से अशुभ और नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है।
- वृक्षों की पूजा से समृद्धि और सुख संबंधित आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
- इस पूजा से पर्यावरण और मानवता के बीच सम्बंध की महत्वता का आदान-प्रदान होता है।
यह पूजा योग्य पंडित द्वारा ही हम करवाते हैं, और हम इस पूजा को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से करवाते हैं।
मुहुर्थः चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि