अपराजिता सप्तमी पूजा
अपराजिता सप्तमी पूजा हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह पूजा विशेष रूप से शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को की जाती है। इस दिन अपराजिता देवी की उपासना की जाती है जो अपराजय और अजेय होने का प्रतीक हैं। अपराजिता सप्तमी पूजा से भक्त अपनी सभी बाधाओं और संकटों से मुक्त होते हैं और जीवन में विजय प्राप्त करते हैं। इस पूजा के दौरान, व्रत रखा जाता है और देवी अपराजिता की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा के अंत में प्रसाद वितरण और दान-पुण्य का महत्व भी है।
अपराजिता सप्तमी पूजा के लाभ
- सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति: जीवन में आने वाली सभी बाधाओं और संकटों से छुटकारा मिलता है।
- विजय प्राप्ति: हर क्षेत्र में विजय प्राप्त करने के लिए यह पूजा अत्यंत लाभकारी है।
- धन और समृद्धि: आर्थिक स्थिति में सुधार और समृद्धि प्राप्त होती है।
- शत्रुओं का नाश: शत्रुओं और विरोधियों से सुरक्षा मिलती है।
- स्वास्थ्य लाभ: अच्छे स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति मिलती है।
- मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
- सुख-शांति: घर में सुख-शांति और खुशहाली बनी रहती है।
- पारिवारिक कल्याण: परिवार के सभी सदस्यों का कल्याण होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
- संकटों का निवारण: जीवन में आने वाले सभी संकटों का निवारण होता है।
- कार्य में सफलता: कार्यक्षेत्र में सफलता और उन्नति प्राप्त होती है।
- विद्या प्राप्ति: शिक्षा और ज्ञान में वृद्धि होती है।
- विवाह संबंधित समस्याओं का निवारण: विवाह में आने वाली समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
- संतान सुख: संतान प्राप्ति में आ रही बाधाओं का निवारण होता है।
- धार्मिक विश्वास की वृद्धि: धार्मिक आस्था और विश्वास में वृद्धि होती है।
- आयु में वृद्धि: दीर्घायु प्राप्त होती है।
- सभी इच्छाओं की पूर्ति: मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
- व्यापार में वृद्धि: व्यापार में वृद्धि और लाभ प्राप्त होता है।
- वास्तु दोष का निवारण: वास्तु दोष का निवारण होता है।
- पूरी दुनिया में शांति: विश्व शांति और भाईचारे में योगदान मिलता है।
हम इस पूजा को योग्य पंडित द्वारा करवाते हैं। इस पूजा को ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों माध्यमों से करवा सकते हैं।