अनाहत चक्र चिकित्साः सरल अभ्यास एवं उपचार – ईबुक
Anahat Chakra Chikitsa Ebook – दिव्ययोगआश्रम द्वारा प्रस्तुत यह अद्भुत ईबुक “अनाहत चक्र चिकित्सा (Heart Chakra Healing) सरल अभ्यास एवं उपचार” हृदय की दिव्य ऊर्जा को जाग्रत करने का पवित्र माध्यम है। यह केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि आत्मिक परिवर्तन की यात्रा है जो साधक को भीतर के प्रेम, करुणा और शांति से जोड़ती है।
अनाहत चक्र हमारे शरीर का चौथा ऊर्जा केंद्र है, जिसे “हृदय चक्र” कहा जाता है। जब यह चक्र संतुलित होता है, तब व्यक्ति के भीतर दया, क्षमा, सहानुभूति और प्रेम का सागर बहने लगता है। लेकिन जब यह अवरुद्ध होता है, तब मन में दुःख, भय, असुरक्षा और संबंधों में असंतुलन उत्पन्न होता है।
इस ईबुक में दिए गए सरल अभ्यास, ध्यान, रंग चिकित्सा, सुगंध चिकित्सा और बीज मंत्र जप विधियाँ साधक को आंतरिक शांति प्रदान करती हैं। हृदय के स्तर पर भावनाओं को संतुलित करके यह साधना मन, शरीर और आत्मा के बीच सामंजस्य स्थापित करती है।
DivyayogAshram के अनुभवी साधकों द्वारा रचित यह पुस्तक प्रत्येक साधक के लिए एक प्रकाश स्तंभ है — जो आत्म-प्रेम, संतुलन और दिव्य अनुभव की दिशा दिखाती है।
हृदय की ऊर्जा से जीवन का उपचार
दिव्ययोगआश्रम द्वारा प्रस्तुत यह 193 पृष्ठों की अद्भुत ईबुक “अनाहत चक्र चिकित्साः सरल अभ्यास एवं उपचार” हृदय चक्र की गहराईयों को समझाने वाली पूर्ण साधना ग्रंथ है। यह पुस्तक केवल ज्ञान नहीं देती, बल्कि साधक के भीतर प्रेम, करुणा और आत्मिक शांति का विस्तार करती है।
जब हृदय चक्र (अनाहत) संतुलित होता है, तो व्यक्ति में गहरी शांति, क्षमा और भावनात्मक शक्ति उत्पन्न होती है। यह ईबुक साधक को उन सरल, व्यावहारिक और प्रभावी विधियों से परिचित कराती है, जिनसे भीतर के घाव भरने लगते हैं और हृदय की दिव्य ऊर्जा पुनः प्रवाहित होती है।
भाग 1 – अनाहत चक्र का रहस्य और महत्व
अनाहत चक्र शरीर का चौथा चक्र है जो प्रेम, संतुलन और करुणा का केंद्र है। यह हमारे शारीरिक हृदय, फेफड़ों और भावनात्मक संबंधों को नियंत्रित करता है। दिव्ययोगआश्रम के अनुसार यह चक्र तभी खुलता है जब साधक भीतर की करुणा को महसूस करता है।
इस भाग में बताया गया है कि किस प्रकार अनाहत ऊर्जा मन, शरीर और आत्मा को जोड़ती है। आप जानेंगे – इस चक्र के असंतुलन से कौन सी मानसिक और शारीरिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। साथ ही, इसे पुनः सक्रिय करने की प्राकृतिक और तांत्रिक विधियाँ भी दी गई हैं।
भाग 2 – सरल अभ्यास एवं ध्यान विधियाँ
इस खंड में अनाहत चक्र के शुद्धिकरण के लिए दिव्ययोगआश्रम द्वारा परखित अभ्यास दिए गए हैं।
इनमें सम्मिलित हैं –
- प्राणायाम और नाड़ी शोधन द्वारा ऊर्जा संतुलन
- हृदय केंद्र ध्यान – प्रेम और करुणा का अनुभव
- “यं” बीज मंत्र जप से ऊर्जा जागरण
- रंग चिकित्सा – हरा प्रकाश और गुलाब पुष्प का उपयोग
- ध्वनि चिकित्सा – नाद और हार्ट फ्रिक्वेंसी टोन से हृदय शुद्धिकरण
हर विधि को चरणबद्ध रूप में इस प्रकार बताया गया है कि कोई भी साधक घर बैठे अभ्यास कर सके।
भाग 3 – वैकल्पिक चिकित्सा और हृदय शुद्धिकरण उपाय
यह भाग हृदय चक्र को संतुलित करने वाले प्राकृतिक उपचारों पर केंद्रित है।
इसमें शामिल हैं –
- रत्न चिकित्सा: एमराल्ड, रोज़ क्वार्ट्ज और पेरिडोट की शक्ति
- सुगंध चिकित्सा: गुलाब, चंदन और लवेंडर की सुगंध का प्रयोग
- रंगीन क्रिस्टल जल चिकित्सा: हरे रंग का चार्ज्ड जल
- औषधीय पौधे: तुलसी, ब्रह्मी और अर्जुन की पत्तियों से हृदय संतुलन
इन अभ्यासों से साधक की भावनाएँ निर्मल होती हैं, और मन स्थिर होकर प्रेममय बनता है।
भाग 4 – मानसिक और भावनात्मक उपचार
दिव्ययोगआश्रम ने अनाहत चक्र को मानसिक स्वास्थ्य का मुख्य द्वार माना है। इस भाग में बताया गया है कि कैसे क्षमा, स्वीकृति और आत्म-प्रेम से मन के बोझ को मुक्त किया जा सकता है।
साधक सीखता है –
- पुराने दुखों को छोड़ना
- स्वयं को प्रेम करना
- संबंधों में करुणा और संवाद बढ़ाना
यह अनुभाग विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जो जीवन में भावनात्मक असंतुलन, अकेलापन या तनाव महसूस करते हैं।
भाग 5 – गुरु ऊर्जा और अनाहत दीक्षा का रहस्य
साधना तभी पूर्ण होती है जब गुरु की कृपा प्रवाहित हो।
इस भाग में गुरु दीक्षा, शुद्ध ऊर्जा प्रवाह और हृदय शुद्धिकरण के रहस्यों का सुंदर वर्णन किया गया है।
गुरु शिष्य के भीतर छिपी करुणा को जाग्रत करते हैं, जिससे साधक दिव्यता का अनुभव करने लगता है।
दिव्ययोगआश्रम के दीक्षा कार्यक्रमों में यह प्रक्रिया अत्यंत सहज और अनुभवात्मक रूप में सिखाई जाती है।
भाग 6 – अनाहत यंत्र और तांत्रिक उपचार
यह अनुभाग अनाहत यंत्र निर्माण, पूजन और प्रयोग विधि पर आधारित है।
साधक को बताया गया है कि कैसे अनाहत यंत्र को शुद्धिकरण और धन्य जीवन के लिए उपयोग किया जाए।
साथ ही, बीज मंत्र “यं ह्रीं क्लीं नमः” का विशेष प्रयोग, हृदय से ऊर्जा प्रवाह के लिए सिखाया गया है।
भाग 7 – साधक अनुभव और 21 दिवसीय साधना क्रम
इस खंड में दिव्ययोगआश्रम के साधकों के वास्तविक अनुभव साझा किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि कैसे इस साधना से
- पुरानी पीड़ाएँ मिट गईं,
- मन में प्रेम और विश्वास जगा,
- और जीवन में चमत्कारी शांति आई।
21 दिवसीय साधना क्रम को अनुसरण कर कोई भी व्यक्ति अपने भीतर के हृदय मंदिर को जाग्रत कर सकता है।
यह ईबुक क्यों विशेष है
- 193 पृष्ठों में सम्पूर्ण अनाहत ज्ञान और अभ्यास
- हर विधि आसान, घर पर करने योग्य
- आध्यात्मिक और वैद्यकीय दोनों दृष्टि से प्रमाणिक
- DivyayogAshram के अनुभवी साधकों द्वारा तैयार की गई
- सैकड़ों पाठकों ने अनुभव किया हृदय की गहराई से परिवर्तन
मूल्य और उपलब्धता
📘 मूल्य: ₹149 मात्र
📄 पृष्ठ संख्या: 193
🕉️ प्रकाशक: DivyayogAshram
📱 Support: WhatsApp & Arattai – 7710812329
सामान्य प्रश्न
1. यह ईबुक किन लोगों के लिए उपयुक्त है?
जो व्यक्ति भावनात्मक संतुलन, प्रेम, आत्म-शांति और आंतरिक उपचार की खोज में हैं।
2. क्या इसे बिना गुरु के पढ़ सकते हैं?
हाँ, इसमें दिए अभ्यास बहुत सरल हैं, कोई भी साधक आरंभ कर सकता है।
3. क्या यह ईबुक हार्ट संबंधी रोगों में सहायक है?
यह मानसिक और ऊर्जात्मक उपचार पर आधारित है। शारीरिक रोग में चिकित्सा सलाह आवश्यक है।
4. क्या इसमें विधियाँ भी दी गई हैं?
हाँ, इसमें यंत्र, बीज मंत्र और ऊर्जा संतुलन की सरल विधियाँ दी गई हैं।
5. क्या अभ्यास घर पर किए जा सकते हैं?
हाँ, सभी विधियाँ घर पर करने योग्य हैं। किसी विशेष स्थान की आवश्यकता नहीं।
6. क्या यह ईबुक मोबाइल या लैपटॉप पर पढ़ी जा सकती है?
हाँ, यह डिजिटल फॉर्मेट में उपलब्ध है। आप इसे किसी भी डिवाइस पर पढ़ सकते हैं।
7. क्या DivyayogAshram से ऑनलाइन मार्गदर्शन मिल सकता है?
हाँ, आप WhatsApp & Arattai नंबर 7710812329 पर मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।
हृदय की यात्रा, आत्मा की शांति
“अनाहत चक्र चिकित्साः सरल अभ्यास एवं उपचार” केवल पुस्तक नहीं, बल्कि आत्मिक रूपांतरण की यात्रा है। यह प्रेम, करुणा और संतुलन की दिशा में पहला कदम है।
अपने हृदय के भीतर छिपे दिव्य आलोक को पहचानिए — और दिव्ययोगआश्रम की इस पवित्र साधना के साथ जुड़कर प्रेम से भरे जीवन की ओर बढ़िए।


