राधा अष्टमी पूजा
राधा अष्टमी, जिसे राधाष्टमी भी कहा जाता है, भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय सखी राधारानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्तगण राधारानी की पूजा-अर्चना कर उनके आशीर्वाद की प्राप्ति करते हैं। राधा अष्टमी विशेष रूप से ब्रज क्षेत्र में बहुत धूमधाम से मनाई जाती है, जहां भक्त राधारानी और श्रीकृष्ण के मधुर प्रेम का स्मरण करते हैं।
राधा अष्टमी पूजा के लाभ
- समाज में मान-सम्मान: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है।
- संबंधों में सुधार: पारिवारिक और वैवाहिक संबंधों में सुधार होता है।
- सुख और समृद्धि: राधारानी की कृपा से घर में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- पारिवारिक शांति: परिवार में शांति और सामंजस्य बना रहता है।
- धन वृद्धि: आर्थिक स्थिरता और धन में वृद्धि होती है।
- स्वास्थ्य में सुधार: स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में सुधार होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक विकास होता है।
- पुत्र प्राप्ति: संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- रोगों से मुक्ति: शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
- शत्रुओं से सुरक्षा: शत्रुओं के बुरे प्रभावों और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
- मानसिक शांति: पूजा से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
- संकटों से बचाव: जीवन में आने वाले संकटों से बचाव होता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- रचनात्मकता में वृद्धि: रचनात्मकता और नवाचार की भावना बढ़ती है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- सफलता: कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- वास्तु दोष निवारण: घर के वास्तु दोषों का निवारण होता है।
- धार्मिक पुण्य: धार्मिक अनुष्ठान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
- आर्थिक उन्नति: व्यापार और नौकरी में उन्नति होती है।
- शांति और सौहार्द: परिवार और समाज में शांति और सौहार्द बना रहता है।
हम इस पूजा को योग्य पंडित द्वारा करवाते हैं। इस पूजा को ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों माध्यमों से करवा सकते हैं।