पित्र दोष निवारण पूजन शिविर: अपने जीवन को शांति और सुख से भरें
पितृ पूजा या मूल दोष पूजा एक प्राचीन सनातन धार्मिक प्रथा है जिसके द्वारा मनुष्य अपने पूर्वजो को, पुरखों को श्रद्धांजलि अर्पित करते है, जिससे कि उन्हे प्रेत योनि से मुक्त होकर पित्र लोक जा सके। जिनकी आकस्मिक मृत्यु हो जाती है या कोई इच्छा अधूरी रह जाती है, तो ये प्रेत योनि मे आपकर अपने परिवार के आस पास भटकते रहते है और उसका नकारात्मक प्रभाव परिवार पर होता रहता है। लेकिन जिनकी कुंडली मे पित्र दोष या मूल दोष होता है, उन्हे सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पडती है। जिनकी कुंडली मे अष्लेशा, मघा, ज्येष्ठा, रेवती, मूल व अश्विनी नक्षत्र होते है। आपके पित्र अतृप्त है या नाराज है, इसकी जानकारी आप समस्या के आधार पर स्वयं लगा सकते है, जैसे कि शादी व्याह मे अडचन, नजर लगना, शत्रुओं की संख्या बढ जाना, परिवार के सदस्य दूर होने लगे, पिता से अनबन, कार्य मे असफलता, विवाहित जीवन मे समस्या, संतान न होना ईत्यादि समस्या आ रही है आपको पित्र का पूजन अवश्य करवा लेना चाहिये।
जिनकी कुंडली में अष्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, रेवती, मूल, अश्विनी नक्षत्र होते हैं, उन्हें पित्र दोष माना जाता है। पित्र दोष जीवन में बाधाओं और समस्याओं का मुख्य कारण हो सकता है। इनसे मुक्ति पाने के लिए पित्र दोष निवारण पूजन शिविर का आयोजन 30 नवंबर 2024 को वज्रेश्वरी में किया जा रहा है। इस शिविर में शामिल होकर आप पित्र दोष से मुक्ति पाकर अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं। अमावस्या के विशेष मुहूर्त पर आयोजित यह पूजन आपके जीवन की सभी परेशानियों का समाधान हो सकता है।
पित्र दोष निवारण पूजन शिविर के लाभ
- पित्र दोष से मुक्ति और मानसिक शांति।
- जीवन में धन-संपत्ति की प्राप्ति।
- परिवार में समृद्धि और एकता।
- विवाह में आ रही अड़चनों का निवारण।
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान।
- रोजगार और व्यवसाय में सफलता।
- बुरे स्वप्नों से छुटकारा।
- संतान सुख में सुधार।
- नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश।
- पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होना।
- शुभ कार्यों में बाधा समाप्त होना।
- जीवन में सकारात्मकता और आत्मविश्वास का संचार।
- मनोकामनाओं की पूर्ति।
- ग्रहदोष का निवारण।
- आध्यात्मिक उन्नति।
कौन इस शिविर में भाग ले सकता है?
- जिनकी कुंडली में पित्र दोष हो।
- जिनके परिवार में समस्याएं लगातार बनी रहती हैं।
- वैवाहिक जीवन में कठिनाई का सामना कर रहे व्यक्ति।
- रोजगार या व्यवसाय में असफलता का सामना कर रहे लोग।
- जिनके जीवन में मानसिक तनाव और अशांति है।
शिविर में भाग लेने के नियम
- आयु: 20 वर्ष से ऊपर।
- स्त्री-पुरुष कोई भी भाग ले सकते हैं।
- कपड़े: नीले और काले रंग के कपड़े न पहनें।
- धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से बचें।
अमावस्या का महत्व और शिविर का शुभ मुहूर्त
अमावस्या का दिन पित्र दोष निवारण के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन पूजन करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और वे संतुष्ट होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। 30 नवंबर 2024 को अमावस्या के दिन यह पूजन शिविर विशेष रूप से आयोजित किया गया है।
शिविर में भाग लेने का तरीका
- प्रत्यक्ष भागीदारी: वज्रेश्वरी शिविर स्थल पर उपस्थित होकर।
- ऑनलाइन भागीदारी: डिजिटल माध्यम से जुड़कर।
हमारे विद्वान पंडित से पूजा
हमारे विद्वान पंडित इस पूजा को वैदिक और तांत्रिक विधि से अत्यंत श्रद्धा और विश्वास के साथ संपन्न कराते हैं। पूजा विधि के दौरान सभी प्रक्रिया को पूरी श्रद्धा और शुद्धता से किया जाता है ताकि उसका अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके। हमारी पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए भी होती है, जो ऑनलाइन पूजा कराना चाहते हैं। आपको केवल अपनी जन्म तिथि, फोटो और अन्य विवरण देना होता है। पूजा समाप्त होने के बाद, पूजा सामग्री, यंत्र, भभूति और पूजा से संबंधित अन्य चीजें आपके पते पर भेज दी जाती हैं।
ऑनलाइन पूजा कैसे करवाएं?
ऑनलाइन पूजा करवाने के लिए आपको निम्नलिखित जानकारी देना होती है:
- पूरा नाम
- जन्म तिथि और समय
- फोटो
- पूजा का उद्देश्य
पूजा विधि के अनुसार हमारे पंडित पूजा करते हैं, और पूजा सामग्री आपके पते पर भेज दी जाती है।
पित्र दोष निवारण पूजन शिविर से जुड़े सवाल और जवाब
1. पित्र दोष क्या है?
उत्तर: कुंडली में विशेष नक्षत्रों के कारण पित्र दोष होता है, जो जीवन में बाधाएं उत्पन्न करता है।
2. पित्र दोष का निवारण कैसे होता है?
उत्तर: विशेष पूजन और मंत्रों के माध्यम से पित्र दोष का निवारण किया जाता है।
3. क्या हर व्यक्ति इस शिविर में शामिल हो सकता है?
उत्तर: हां, 20 वर्ष से ऊपर का कोई भी व्यक्ति शिविर में भाग ले सकता है।
4. क्या ऑनलाइन माध्यम से भाग लिया जा सकता है?
उत्तर: हां, आप ऑनलाइन माध्यम से भी जुड़ सकते हैं।
5. पूजन में किन वस्तुओं का उपयोग होता है?
उत्तर: मुख्य रूप से चावल, काला तिल, दूध, घी, पंचामृत, और दीपक का उपयोग होता है।
6. क्या पूजन के लिए व्रत रखना जरूरी है?
उत्तर: व्रत रखना अनिवार्य नहीं है, परंतु शुद्धता और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
7. पूजन के लिए कौन से कपड़े पहनने चाहिए?
उत्तर: सफेद, पीले, या हल्के रंग के कपड़े पहनने चाहिए। नीले और काले रंग से बचें।
8. क्या शिविर में पूरे परिवार को लाना जरूरी है?
उत्तर: नहीं, एक व्यक्ति की भागीदारी भी पर्याप्त है।
9. शिविर की समय अवधि कितनी है?
उत्तर: पूजन प्रातः 9 बजे से शुरू होकर दोपहर 1 बजे तक चलेगा।
10. क्या बच्चों को शिविर में लाया जा सकता है?
उत्तर: 20 वर्ष से कम आयु के बच्चों को लाना उचित नहीं है।
11. पूजन के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
उत्तर: शुद्धता बनाए रखें और पूजन के दौरान शांत रहें।
12. पित्र दोष निवारण के बाद क्या लाभ होंगे?
उत्तर: जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होगी।
पित्र दोष वाले ब्यक्ति को इस बात की सावधानी बरतनी चाहिये कि माता पिता, गुरु, सन्यासी, अध्यापक व बडा बुजुर्ग कभी आपसे नाराज न हो.
Reviews
There are no reviews yet.