पांच तत्व की देवी पंचांगुली साधना वैदिक शास्त्र की एक महत्वपूर्ण साधना मानी जाती है जो विशेषकर हाथों की उंगलियों की शक्तियों को जागृत करने के लिए की जाती है। इस साधना के माध्यम से व्यक्ति को भविष्यवाणी, चिकित्सा, और विभिन्न प्रकार के ज्ञान की प्राप्ति होती है। पंचांगुली देवी को तंत्र शास्त्र पंचाग की देवी माना जाता है और उनकी साधना से हाथों में दिव्य शक्तियों का वास होता है।
अगर आप एस्ट्रोलोजी. पामेस्ट्री, नंबरोलोजी, रेकी हीलर, प्रानिक हीलर, अंजेल थेरेपी, तैतोट रीडिंग या किसी अध्यात्मिक पद्धति से उपचार के क्षेत्र मे है, तो आपको पंचांगुली साधना करना अनिवार्य है।
पंचांगुली साधना के लाभ
- भविष्यवाणी करने की क्षमता: इस साधना से व्यक्ति को भविष्यवाणी करने की अद्भुत क्षमता प्राप्त होती है।
- चिकित्सा में कुशलता: साधक के हाथों में उपचार की शक्तियाँ जागृत होती हैं, जिससे वह विभिन्न रोगों का उपचार कर सकता है।
- ज्ञान की प्राप्ति: पंचांगुली साधना से साधक को अद्वितीय ज्ञान और समझ प्राप्त होती है।
- समस्याओं का समाधान: जीवन की विभिन्न समस्याओं का समाधान पाने के लिए यह साधना अत्यंत प्रभावी मानी जाती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: साधना से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जो साधक के जीवन में सुख और समृद्धि लाती है।
नियम
- साधना के दौरान मन को एकाग्र रखें और किसी प्रकार की नकारात्मक सोच से दूर रहें।
- पंचांगुली साधना को पूर्ण निष्ठा और विश्वास के साथ करें।
- साधना की अवधि में शुद्ध और सात्विक भोजन का सेवन करें।
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पंचांगुली साधना के बाद: साधना पूर्ण होने पर यंत्र को पूजाघर में स्थापित करें और नियमित रूप से उसकी पूजा करें। साधना के पूर्ण होने पर साधक को अपने जीवन में अद्वितीय परिवर्तन और लाभ प्राप्त होते हैं।
इस प्रकार, पंचांगुली साधना एक अद्भुत और शक्तिशाली साधना है जो साधक को अनेक दिव्य शक्तियों और ज्ञान की प्राप्ति कराती है।