अशोक पूर्णिमा पूजा
अशोक पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह दिन भगवान बुद्ध के जन्मदिवस के रूप में भी जाना जाता है और इसे बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा विशेष रूप से मनाया जाता है। इस दिन की पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान बुद्ध और भगवान अशोक का आशीर्वाद प्राप्त करना होता है। अशोक पूर्णिमा के दिन व्रतधारी सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। इसके बाद वे पूजा स्थल को साफ करते हैं और वहां दीप, धूप, पुष्प, फल, और नैवेद्य अर्पित करते हैं। भगवान बुद्ध की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर, धूप दिखाकर और मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजा की जाती है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि, और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
अशोक पूर्णिमा व्रत के लाभ
- जीवन में शांति और संतोष की प्राप्ति होती है।
- भगवान बुद्ध और भगवान अशोक का आशीर्वाद मिलता है।
- मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
- नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- परिवार में खुशियों का माहौल बना रहता है।
- स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
- धन-धान्य और वैभव की वृद्धि होती है।
- वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है।
- बच्चों की उन्नति और सफलता में सहायक होता है।
- समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है।
- मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- कठिन परिस्थितियों में साहस और धैर्य प्राप्त होता है।
- व्यापार और व्यवसाय में सफलता मिलती है।
- जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- शत्रुओं से रक्षा होती है।
- सभी प्रकार की बाधाओं और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- परिवार में एकता और प्रेम बना रहता है।
- मोक्ष की प्राप्ति होती है और जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।
यह पूजा योग्य पंडित द्वारा ही हम करवाते हैं, और हम इस पूजा को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से करवाते हैं।