बाधाओं को नष्ट करने वाली स्कन्दमाता देवी दुर्गा के नौ रूपों में से पांचवा रूप हैं, जिन्हें नवरात्रि के पांचवे दिन पूजा जाता है। स्कन्दमाता का अर्थ है ‘स्कन्द की माता’, और स्कन्द स्वयं भगवान कार्तिकेय हैं। स्कन्दमाता अपने पुत्र स्कन्द को गोद में लिए हुए दर्शाई जाती हैं और उनकी पूजा से भक्तों को अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं। स्कन्दमाता देवी की साधना से भक्त को मानसिक शांति, बुद्धि और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। यह साधना जीवन में सभी प्रकार की समस्याओं और बाधाओं को दूर करने में सहायक होती है।
स्कन्दमाता साधना के लाभ:
- मानसिक शांति: देवी की पूजा से मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है।
- बुद्धि और ज्ञान: स्कन्दमाता की कृपा से बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है, जो विद्यार्थियों और ज्ञान की खोज करने वालों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
- स्वास्थ्य: देवी की आराधना से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और रोगों का नाश होता है।
- बाधाओं का नाश: देवी की कृपा से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं और समस्याएं दूर होती हैं।
- सुरक्षा: देवी की आराधना से जीवन में सुरक्षा और संरक्षण मिलता है।
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