दत्तात्रेय साधना
सुख समृद्धि देने वाले भगवान दत्तात्रेय साधना का मुख्य उद्देश्य आत्मा ज्ञान के मार्ग में आगे बढ़ना है और आत्मिक रूप से उन्नति करना है। इस साधना के द्वारा भगवान दत्तात्रेय की कृपा के साथ सभी तरह की मनोकामना की पूर्ति होती है।
दत्तात्रेय साधना के नियम
- सुबह-सुबह स्नान करके स्वच्छ और पवित्र वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल पर बैठें और दत्तात्रेय माला के साथ साधना की शुरुवात करे।
- दत्तात्रेय की मूर्ति, फोटो, या यंत्र के सामने प्रणाम करें।
- प्रतिदिन साधना का समय और स्थान निश्चित करें और निष्काम भाव से साधना करें।
दत्तात्रेय साधना के लाभ
- आत्मिक विकास और उन्नति।
- आत्मा के शांति और सुख की प्राप्ति।
- भगवान दत्तात्रेय की कृपा मिलती है।
- भगवान दत्तात्रेय के आशीर्वाद से संसार में समृद्धि और सफलता मिलती है।
- आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- मानवता और धर्म के प्रति समर्पण बढ़ता है।
- मानवीय गुणों में सुधार होता है।
- शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक रूप से स्वस्थ रहने की प्राप्ति होती है।
- दुर्भाग्य, अशुभ गतिविधियों से मुक्ति मिलती है।
- आत्मा को परमात्मा के साथ एकता की प्राप्ति होती है।
- सभी दुःखों का निवारण होता है।
- भगवान दत्तात्रेय के ध्यान से संतोष, शांति, और आनंद की प्राप्ति होती है।
दत्तात्रेय साधना के लिए मुहुर्त
दत्तात्रेय साधना के लिए शुभ मुहूर्त में शुरू करना अधिक फलदायी होता है। किसी भी शुक्रवार और गुरुवार से साधना करना भी शुभ माना जाता है। मार्गशीर्ष, माघ, और फाल्गुन मास में साधना करना लाभकारी होता है। दत्तात्रेय जयंती और गुरुपूर्णिमा जैसे पर्व पर भी साधना करना शुभ माना जाता है।
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