संतान सुख प्रदान करने वाली पुत्रेष्ठि साधना एक प्राचीन वैदिक अनुष्ठान है जो संतान प्राप्ति की कामना के लिए किया जाता है। यह साधना विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए की जाती है जिन्हें संतान प्राप्ति में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा हो। पुत्रेष्टि यज्ञ की महिमा का वर्णन रामायण में भी मिलता है, जब राजा दशरथ ने अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए इस यज्ञ का आयोजन किया था। इस यज्ञ के माध्यम से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। यह साधना बहुत ही पवित्र और शक्तिशाली है।
पुत्रेष्ठि साधना के लाभ:
- पुत्र प्राप्ति: यह यज्ञ का मुख्य उद्देश्य है। ऐसा माना जाता है कि भगवान सूर्य और देवी यमुना की कृपा से निःसंतान दंपतियों को पुत्र प्राप्ति होती है।
- संतान की लंबी आयु: पुत्रेष्ठि यज्ञ में किए गए मंत्रों और अनुष्ठानों से संतान की आयु लंबी होती है।
- संतान की अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य: इस यज्ञ से संतान बुद्धिमान, स्वस्थ और सदाचारी बनती है।
- पति-पत्नी में प्रेम और सौहार्द: पुत्रेष्ठि यज्ञ पति-पत्नी के बीच प्रेम और सौहार्द बढ़ाता है।
- धन-संपत्ति में वृद्धि: इस यज्ञ से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
- ग्रहों की शांति: पुत्रेष्ठि यज्ञ से ग्रहों की शांति होती है, जिससे जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
- पापों का नाश: इस यज्ञ से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- मानसिक शांति: पुत्रेष्ठि यज्ञ से मन शांत होता है और तनाव दूर होता है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: इस यज्ञ से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
- समाज में मान-सम्मान: पुत्रेष्ठि यज्ञ से समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।
- पारिवारिक सुख: इस यज्ञ से परिवार में सुख और समृद्धि आती है।
- ईश्वर की कृपा: पुत्रेष्ठि यज्ञ से ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
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