पाशुपति मंत्र से प्राण प्रतिष्ठित “पशुपति रक्षा कवच” पाप को मुक्त करने वाला व मनोकामना को पूर्ण करने वाला रक्षा कवच माना जाता है। इसका प्रयोग आत्मरक्षा और सुरक्षा के लिए प्रयोग किया जाता है। यह मनुष्य के अंदर की नकारात्मक विचारों को नष्ट करता है। यह कवच शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक सुरक्षा में सहायक होता है और धार्मिक विश्वास के अनुसार भयानक संकटों से बचाव के लिए शक्ति प्रदान करता है। “पशुपति रक्षा कवच” पहनने से व्यक्ति को शुभ और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और उसकी आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
“पशुपति रक्षा कवच” के लाभ:
- सुरक्षा: यह कवच भयानक संकटों से व्यक्ति की सुरक्षा में मदद करता है।
- शारीरिक और मानसिक स्थिरता: “पशुपति रक्षा कवच” पहनने से शारीरिक और मानसिक स्थिरता में सुधार होता है।
- रोगों से बचाव: यह कवच अच्छे स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करता है और व्यक्ति को रोगों से बचाव में मदद करता है।
- ध्यान और आत्म-संयम: “पशुपति रक्षा कवच” का धारण करने से व्यक्ति का ध्यान और आत्म-संयम में सुधार होता है।
- सुख-शांति: इस कवच को पहनने से व्यक्ति को सुख और शांति की अनुभूति होती है।
- उत्कृष्टता की ओर प्रेरणा: “पशुपति रक्षा कवच” व्यक्ति को उत्कृष्टता की ओर प्रेरित करता है और उसे अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
पशुपति रक्षा कवच का मुहूर्त और शुभ दिन:
“पशुपति रक्षा कवच” को अश्विन नवरात्रि के दिन पहनने का महत्व होता है। अश्विन नवरात्रि हिंदू पंचांग में आश्विन मास के शुक्ल पक्ष के अष्टमी तिथि से शुरू होता है और दशमी तिथि पर समाप्त होता है। इस पर्व के दौरान “पशुपति रक्षा कवच” का पहनना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस समय भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा किसी भी सोमवार को भी धारण किया जा सकता है।
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