बैकुंठ चतुर्दशी पूजा
बैकुंठ चतुर्दशी एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है जो भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को विष्णु भगवान के बैकुंठ धाम के द्वार खुलने का दिन माना जाता है। इसलिए इस दिन भक्तगण भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करके मोक्ष की प्राप्ति और जीवन के कष्टों से मुक्ति की कामना करते हैं। बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भक्तगण व्रत रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। वे भगवान विष्णु और भगवान शिव की मूर्तियों को स्नान कराते हैं, फूल, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करते हैं। इस दिन तुलसी के पौधे की विशेष पूजा की जाती है और तुलसी दल को भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है। भक्तगण रात भर जागरण करते हैं और भजन-कीर्तन का आयोजन करते हैं। इस दिन का महत्व विशेष रूप से काशी (वाराणसी) में अधिक होता है, जहाँ भगवान विष्णु ने स्वयं भगवान शिव की पूजा की थी।
बैकुंठ चतुर्दशी पूजा के लाभ
- मोक्ष की प्राप्ति
- भगवान विष्णु और शिव की कृपा
- पापों का नाश
- आध्यात्मिक उन्नति
- शांति और संतोष
- सभी कष्टों से मुक्ति
- धन-धान्य में वृद्धि
- स्वास्थ्य में सुधार
- बाधाओं का निवारण
- सौभाग्य में वृद्धि
- परिवारिक सुख
- संतान सुख
- मानसिक शांति
- कर्मों का शुद्धिकरण
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार
- अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति
- सभी इच्छाओं की पूर्ति
- सच्चे ज्ञान की प्राप्ति
- समाज में प्रतिष्ठा
- आत्मविश्वास में वृद्धि
यह पूजा योग्य पंडित द्वारा ही हम करवाते हैं, और हम इस पूजा को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से करवाते हैं।