अक्षय तृतीया पूजा
अक्षय तृतीया हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है और किसी भी नए कार्य की शुरुआत के लिए अनुकूल होता है। अक्षय तृतीया के दिन व्रत, पूजा, दान और धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और जल, फल, फूल, चंदन, धूप, दीप आदि का उपयोग किया जाता है। पूजा की विधि के अनुसार, प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। पूजा स्थल को स्वच्छ करके, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित किया जाता है। जल, दूध, पंचामृत, फूल, धूप, दीप, चंदन, और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं। विशेष रूप से इस दिन सोने, चांदी, और अन्य मूल्यवान वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है। यह दिन धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
अक्षय तृतीया के लाभ
- धन और समृद्धि: इस दिन की गई पूजा से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- सफलता: अक्षय तृतीया के दिन नए कार्य की शुरुआत से सफलता मिलती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- स्वास्थ्य लाभ: पूजा और व्रत से स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: धार्मिक क्रियाकलापों से आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- पुण्य की प्राप्ति: इस दिन किए गए दान-पुण्य से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
- संकटों से मुक्ति: पूजा से जीवन के संकट दूर होते हैं।
- पारिवारिक सुख: पूजा से पारिवारिक सुख और शांति मिलती है।
- धैर्य और संयम: व्रत से धैर्य और संयम का विकास होता है।
- संतान प्राप्ति: संतान सुख की प्राप्ति के लिए यह दिन शुभ माना जाता है।
- मनोकामना पूर्ति: पूजा से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
- सौभाग्य: इस दिन की गई पूजा से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- पापों का नाश: पूजा से पापों का नाश होता है।
- जीवन में स्थिरता: पूजा से जीवन में स्थिरता आती है।
- सकारात्मक विचार: धार्मिक क्रियाओं से सकारात्मक विचारों का विकास होता है।
- आत्मविश्वास: पूजा से आत्मविश्वास बढ़ता है।
- शांति: पूजा से मन और जीवन में शांति प्राप्त होती है।
- सद्गुणों का विकास: धार्मिक क्रियाकलापों से सद्गुणों का विकास होता है।
- विवेकशीलता: पूजा से विवेकशीलता का विकास होता है।
- समाज कल्याण: दान-पुण्य से समाज कल्याण में योगदान होता है।
यह पूजा योग्य पंडित द्वारा ही हम करवाते हैं, और हम इस पूजा को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से करवाते हैं।