अवियोग तृतीया
अवियोग तृतीया व्रत पूजा को विवाहित स्त्रियाँ विशेष महत्व देती हैं, जो अपने पति की लंबी आयु और सुख-शांति के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत के दिन स्त्रीएं निराहार रहती हैं और पूजा करती हैं। वे भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की पूजा करती हैं और उन्हें अर्पण करती हैं। व्रत के दिन स्त्रियों का गृह सुंदर और पवित्र होता है। इस व्रत के द्वारा स्त्रीएं अपने पति की उम्र की वृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं और उनके सुरक्षित रहने की कामना करती हैं। इस व्रत से पति-पत्नी के बंधन में प्यार और सम्मान का वातावरण बना रहता है। यह पर्व सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है जो परिवार के बंधनों को मजबूत करता है।
अवियोग तृतीया व्रत लाभ
- पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करना।
- पति की सुख-शांति और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करना।
- परिवार में खुशहाली और समृद्धि की प्राप्ति करना।
- पति-पत्नी के बीच प्रेम और सम्मान का वातावरण बनाए रखना।
- घर में सौहार्द और एकता की स्थापना करना।
- पति के उत्तम स्वास्थ्य की कामना करना।
- पति की सफलता और समृद्धि में मदद करना।
- पति के साथ धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन में सहयोग करना।
- पति की रक्षा और कल्याण की प्रार्थना करना।
- पति की उत्तम प्रेरणा और समर्थन करना।
- पति की उत्तम सेवा करना।
- परिवार में आपसी समझ और समर्थन का माहौल बनाए रखना।
- पति के साथ गहरे और स्थायी संबंध बनाए रखना।
- पति की सम्माननीय स्थिति और सफलता की कामना करना।
- पति के साथ आपसी समझ और समर्थन में वृद्धि करना।
- पति के साथ प्रेम और सम्मान का वातावरण बनाए रखना।
- पति के उत्तम स्वास्थ्य और उत्तम जीवन की कामना करना।
- पति की आर्थिक स्थिति में सुधार की प्रार्थना करना।
- पति के साथ परस्पर समर्थन और सामर्थ्य में वृद्धि करना।
- पति के साथ आपसी समझ और प्रेम का माहौल बनाए रखना।
यह पूजा योग्य पंडित द्वारा ही हम करवाते हैं, और हम इस पूजा को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से करवाते हैं।
मुहुर्थः कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया