इस भैरवी कवच को ११००० भैरवी मंत्र से सिद्ध (Energize) किया गया है। माता भैरवी १० महाविद्या मे एक महाविद्या मानी जाती है। इस कवच का प्रयोग माता भैरवी की कृपा, किसी भी देवता की साधना मे सफलता, शत्रु से सुरक्षा व मनोकामना पूर्ण करने के लिये किया जाता है। इसे पहनकर व्यक्ति को सुरक्षा, स्थिरता और सामर्थ्य प्राप्त होता है। भैरवी रक्षा कवच का धारणा करने से व्यक्ति को अधिक आत्म-संयम, साहस, और सामर्थ्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, यह कवच व्यक्ति को बुरी दृष्टि, चिंता, और नकारात्मक शक्तियों से भी रक्षा प्रदान करता है। यह धारणा करने वाले व्यक्ति के जीवन में संतुलन, शांति, और समृद्धि का अनुभव होता है।
“भैरवी रक्षा कवच” के लाभ:
- सुरक्षा और समृद्धि: यह कवच धारण करने से व्यक्ति को सुरक्षा और समृद्धि की प्राप्ति होती है। माता भैरवी की कृपा से व्यक्ति का जीवन सुरक्षित और स्थिर बनता है।
- अधिक आत्म-संयम: इस कवच का धारण करने से व्यक्ति को अधिक आत्म-संयम, साहस, और ध्यान की अधिकता मिलती है।
- बुरी दृष्टि से रक्षा: भैरवी रक्षा कवच के धारण से व्यक्ति को बुरी दृष्टि और अन्य नकारात्मक शक्तियों से रक्षा मिलती है।
- धर्म और आध्यात्मिक उत्थान: यह कवच व्यक्ति को धार्मिक और आध्यात्मिक उत्थान की दिशा में अग्रसर करता है और उसे अधिक धर्मपरायण बनाता है।
- शांति और समृद्धि: इस कवच के धारण से व्यक्ति को शांति, समृद्धि, और संतुलन की प्राप्ति होती है।
भैरवी रक्षा कवच का मुहूर्त और शुभ दिन:
- नवरात्रि: नवरात्रि के दौरान, विशेष रूप से नवमी और दशमी के दिन, “भैरवी रक्षा कवच” का धारण किया जाता है।
- अक्षय तृतीया: अक्षय तृतीया भारतीय परंपरा में महत्वपूर्ण त्योहार है और इस दिन भी इस कवच का धारण किया जा सकता है।
- महाशिवरात्रि: महाशिवरात्रि के दिन भी “भैरवी रक्षा कवच” का धारण किया जाता है, विशेष रूप से भोलेनाथ के पूजन के समय।
- गुरु पूर्णिमा: गुरु पूर्णिमा के अवसर पर भी इस कवच का धारण किया जा सकता है।
- पूर्णिमा और अमावस्या: कुछ लोग पूर्णिमा और अमावस्या के दिन भी इस कवच का धारण करते हैं, विशेष रूप से पूर्णिमा के पूजन के समय।
- इसके अलावा किसी भी मंगलवार, शनिवार या ग्रहण को भी इस कवच को धारण कर सकते है।
- कवच धारण करने का समय सूर्यास्त के बाद दक्षिण दिशा मे मुंह करके करना चाहिये।
- भैरवी कवच मंत्र ॥ॐ ह्रीं त्रिपुर भैरवे कार्य सिद्धिं देही देही क्लीं नमः॥ “OM HREEM TRIPUR BHAIRAVE KARYA SIDDHIM DEHI DEHI KLEEM NAMAHA”
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