उत्तर तंत्र शास्त्र ईबुक – चिकित्सा का परम ज्ञान
Uttar Tantra Shastra Ebook भारत की प्राचीन चिकित्सा परंपरा में सुश्रुत संहिता का “उत्तर तंत्र” भाग अद्भुत और गूढ़ माना गया है। यह भाग शरीर, मन और आत्मा की गहराई से चिकित्सा का रहस्य समझाता है।
DivyayogAshram द्वारा प्रस्तुत “उत्तर तंत्र शास्त्र – चिकित्सा का परम ज्ञान” इसी दिव्य ज्ञान का आधुनिक रूप है। यह पुस्तक गृहस्थ व्यक्तियों के लिए स्वास्थ्य, ऊर्जा और मानसिक संतुलन का व्यावहारिक मार्ग दिखाती है। इसमें रोगों के तांत्रिक कारण, चक्रों का असंतुलन और नाड़ियों की चिकित्सा को सरल भाषा में बताया गया है। यह ग्रंथ केवल औषधियों तक सीमित नहीं, बल्कि मन और चेतना की गहराई तक उतरता है।
यह सिखाता है कि रोग केवल शरीर का नहीं, बल्कि ऊर्जा का असंतुलन भी होता है। मंत्र, यंत्र और प्राण के संतुलन से जीवन में दिव्य स्वास्थ्य प्राप्त किया जा सकता है। इस पुस्तक में सूर्य, चंद्र, जल, अग्नि और पंचतत्व चिकित्सा के रहस्य दिए गए हैं। हर गृहस्थ इसे पढ़कर अपने परिवार की शारीरिक और मानसिक रक्षा कर सकता है।
यह ग्रंथ प्राचीन तंत्र ज्ञान और आधुनिक जीवन के बीच एक दिव्य सेतु है। इसीलिए इसे कहा गया है — “उत्तर तंत्र शास्त्र – चिकित्सा का परम ज्ञान।”
प्राचीन ज्ञान और आधुनिक उपचार का संगम
भारत की तांत्रिक परंपरा में “उत्तर तंत्र शास्त्र” वह दिव्य ग्रंथ है जिसमें शरीर, मन और आत्मा की चिकित्सा का रहस्य छिपा है। यह ग्रंथ केवल वैद्यों के लिए नहीं, बल्कि प्रत्येक गृहस्थ व्यक्ति के जीवन में प्रकाश फैलाने वाला मार्गदर्शक है।
DivyayogAshram ने इस अमूल्य ज्ञान को आधुनिक युग के अनुरूप प्रस्तुत किया है ताकि हर व्यक्ति घर बैठे अपने जीवन की ऊर्जा, स्वास्थ्य और मानसिक शांति को पुनर्स्थापित कर सके।
इस 187 पृष्ठों की पुस्तक में आचार्य सुश्रुत के उत्तर तंत्र के गूढ़ रहस्यों को सरल भाषा में समझाया गया है। यहाँ शरीर, नाड़ी, चक्र, प्राण, ग्रह, मंत्र और ऊर्जा के समन्वय से रोगों के तांत्रिक उपचार के उपाय दिए गए हैं।
यह केवल औषधि की नहीं, बल्कि चेतना की चिकित्सा का ग्रंथ है। यह बताता है कि भय, चिंता, रोग, अवसाद और नकारात्मक ऊर्जा को कैसे संतुलित किया जाए ताकि जीवन में स्थिरता और सामर्थ्य बढ़े।
उत्तर तंत्र शास्त्र का सार – चिकित्सा का परम ज्ञान
इस ग्रंथ का उद्देश्य केवल रोग मिटाना नहीं, बल्कि मनुष्य की चेतना को जागृत करना है। उत्तर तंत्र कहता है –
“रोग शरीर का नहीं, ऊर्जा का असंतुलन है।”
DivyayogAshram द्वारा प्रकाशित यह ग्रंथ बताता है कि रोग केवल शरीर में नहीं, बल्कि नाड़ियों और प्राणों में उत्पन्न होता है। जब चक्र, स्वर और प्राण संतुलित होते हैं, तब शरीर स्वयं स्वस्थ होने लगता है।
इस पुस्तक में ऊर्जा चिकित्सा, मंत्र चिकित्सा, पंचतत्व चिकित्सा, सूर्य-चंद्र चिकित्सा, और तांत्रिक जल चिकित्सा जैसे प्रयोग विस्तार से बताए गए हैं। हर अध्याय के अंत में गृहस्थ जीवन में लागू होने वाले छोटे-छोटे प्रयोग दिए गए हैं जिन्हें कोई भी व्यक्ति बिना दीक्षा के कर सकता है।
ग्रंथ की प्रमुख विशेषताएँ
- शरीर, प्राण और मन की संयुक्त चिकित्सा विधि।
- सात चक्रों और नाड़ियों का रहस्यमय विश्लेषण।
- रोगों के तांत्रिक और ऊर्जा-आधारित कारण।
- भय, चिंता और अवसाद से मुक्ति के विशेष प्रयोग।
- मंत्र और यंत्र द्वारा ऊर्जा रक्षा के उपाय।
- जल, अग्नि और वायु तत्व से रोग निवारण के रहस्य।
- गृहस्थ व्यक्तियों हेतु सरल चिकित्सा अभ्यास।
भावनात्मक चिकित्सा – मन और आत्मा की शुद्धि
उत्तर तंत्र का मानना है कि मन की अशुद्धि से ही रोग उत्पन्न होते हैं। जब व्यक्ति के विचार, भावना और संकल्प पवित्र होते हैं, तब उसके भीतर एक नई ऊर्जा प्रवाहित होती है।
इस ग्रंथ में “अवचेतन मन की चिकित्सा” और “स्वप्न तंत्र उपचार” जैसे अध्याय मानसिक रोगों के उपचार का अद्भुत मार्ग बताते हैं।
हर पाठक इससे यह सीख सकता है कि कैसे ध्यान, मंत्र और श्वास साधना द्वारा भय, असफलता और अवसाद से मुक्ति पाई जा सकती है।
गृहस्थों के लिए लाभकारी प्रयोग
यह पुस्तक केवल साधकों या तांत्रिकों के लिए नहीं है, बल्कि उन गृहस्थों के लिए भी है जो अपने परिवार के सुख, स्वास्थ्य और शांति की रक्षा करना चाहते हैं।
गृहस्थों के लिए विशेष अध्याय:
- घर में नकारात्मक ऊर्जा निवारण।
- रोगियों की सेवा में मंत्र शक्ति का प्रयोग।
- घर के जल, दीपक और धूप से ऊर्जा शुद्धि।
- ग्रह दोष, दृष्टिदोष और बाधाओं के समाधान।
हर प्रयोग सरल, सुरक्षित और पूर्णत: घर पर करने योग्य है।
DivyayogAshram की दृष्टि से उत्तर तंत्र का महत्व
DivyayogAshram का उद्देश्य है —
“हर व्यक्ति को आत्म-उपचार का ज्ञान देना।”
यह ग्रंथ आधुनिक जीवन में तांत्रिक चिकित्सा की पुनर्स्थापना करता है। इसमें बताया गया है कि कैसे मंत्र, श्वास और तत्वों के संतुलन से जीवन की दिशा बदल सकती है।
DivyayogAshram के अनुसार जब मनुष्य अपनी ऊर्जा को पहचानता है, तभी वह वास्तविक स्वास्थ्य को प्राप्त करता है। यही उत्तर तंत्र का सार है —
“ऊर्जा की चिकित्सा ही परम चिकित्सा है।”
इस ग्रंथ से प्राप्त होने वाले लाभ
- मानसिक शांति और ऊर्जा संतुलन।
- भय, चिंता और अवसाद से मुक्ति।
- रोग प्रतिरोधक शक्ति में वृद्धि।
- नींद और ध्यान की गहराई में सुधार।
- नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा।
- घर की शुद्धि और पवित्रता।
- धन और स्वास्थ्य दोनों में वृद्धि।
- आत्मबल और स्मरण शक्ति में सुधार।
- शरीर में नई ऊर्जा का संचार।
- ग्रह दोष और नज़र बाधा से मुक्ति।
- वैवाहिक और पारिवारिक जीवन में सामंजस्य।
- कर्म दोष निवारण।
- ध्यान, साधना और आराधना में स्थिरता।
- मन की एकाग्रता और सत्व वृद्धि।
- सूक्ष्म शरीर की शुद्धि।
- चक्रों में ऊर्जा प्रवाह का संतुलन।
- वाणी और विचार की पवित्रता।
- शुभ अवसरों में दिव्य अनुभव की वृद्धि।
- दीर्घायु और उत्साहपूर्ण जीवन।
- आत्मसाक्षात्कार की दिशा में प्रगति।
उत्तर तंत्र के कुछ प्रमुख अध्याय
- शरीर और चेतना का संबंध।
- नाड़ी और प्राण संतुलन के प्रयोग।
- स्वर तंत्र द्वारा रोग नियंत्रण।
- पंच तत्व चिकित्सा।
- मंत्र शक्ति और कंपन चिकित्सा।
- सूर्य-चंद्र ऊर्जा चिकित्सा।
- मानसिक और आत्मिक शुद्धि साधना।
हर अध्याय भावनात्मक भाषा में लिखा गया है ताकि साधक का अनुभव गहराई तक पहुँचे।
पुस्तक विवरण
- नाम: उत्तर तंत्र शास्त्र – चिकित्सा का परम ज्ञान
- पृष्ठ संख्या: 187
- मूल्य: ₹149/-
- प्रकाशक: DivyayogAshram
- भाषा: सरल, भावनात्मक हिन्दी
- उपयोगी: गृहस्थ, साधक, तांत्रिक, और वैद्य
- सहायता: WhatsApp / Arattai – 📞 7710812329
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. यह पुस्तक किन लोगों के लिए उपयोगी है?
यह पुस्तक हर उस व्यक्ति के लिए है जो तन, मन और आत्मा का संतुलन चाहता है।
2. क्या इसमें दिए गए प्रयोग घर पर किए जा सकते हैं?
हाँ, सभी प्रयोग गृहस्थों के लिए सरल और सुरक्षित रूप से घर पर किए जा सकते हैं।
3. क्या यह केवल साधकों के लिए है?
नहीं, यह सामान्य गृहस्थ जीवन में स्वास्थ्य और शांति लाने के लिए भी बनाई गई है।
4. क्या इसमें दी गई जानकारी वैज्ञानिक आधार रखती है?
हाँ, यह ग्रंथ सुश्रुत संहिता और आधुनिक ऊर्जा चिकित्सा दोनों पर आधारित है।
5. क्या इसमें दीक्षा आवश्यक है?
नहीं, यह पुस्तक आत्म-अध्ययन और प्रयोग के लिए है, दीक्षा वैकल्पिक है।
6. क्या यह ऑनलाइन खरीदी जा सकती है?
हाँ, यह पुस्तक DivyayogAshram की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है।
7. क्या इसमें भय और मानसिक विकारों के उपचार भी हैं?
हाँ, इसमें भय, चिंता, अवसाद और ऊर्जा असंतुलन के संपूर्ण समाधान दिए गए हैं।
जीवन में संतुलन और जागृति की ओर
“उत्तर तंत्र शास्त्र – चिकित्सा का परम ज्ञान” केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि एक जीवंत साधना मार्ग है।
यह हर व्यक्ति को सिखाती है कि असली चिकित्सा भीतर से शुरू होती है — जब विचार, श्वास और ऊर्जा एक लय में आते हैं।
DivyayogAshram के इस ग्रंथ के माध्यम से आप स्वयं अपने जीवन के चिकित्सक बन सकते हैं।
यह ग्रंथ कहता है —
“जो अपने भीतर के प्राण को समझ लेता है, वह सृष्टि की हर व्याधि से मुक्त हो जाता है।”
📘 उपलब्धता:
👉 केवल ₹149/- में DivyayogAshram की आधिकारिक वेबसाइट पर।
📱 सहायता हेतु संपर्क करें: WhatsApp / Arattai – 7710812329
🔮 DivyayogAshram – आत्म-चिकित्सा, ऊर्जा और तंत्र ज्ञान का विश्वसनीय माध्यम।

