प्रत्यंगिरा देवी का सिद्ध रक्षा कवच अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावी माना जाता है। यह कवच नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नज़र, जादू-टोना और सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से स्वयं के साथ पूरे परिवार की रक्षा करता है।
प्रत्यंगिरा रक्षा कवच की अहमियत
प्रत्यंगिरा देवी तंत्र की अत्यंत उग्र और शक्तिशाली देवी मानी जाती हैं। उनका कवच धारण करने से सभी प्रकार के भय, बाधाओं और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। यह कवच विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी होता है जो कठिन परिस्थिति, कानूनी विवाद या शत्रुओं के हमले का सामना कर रहे होते हैं।
प्रत्यंगिरा रक्षा कवच के लाभ
- नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: यह कवच नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नज़र और जादू-टोना से प्रभावी सुरक्षा प्रदान करता है।
- शत्रु भय निवारण: शत्रुओं के द्वारा उत्पन्न की गई बाधाओं और समस्याओं से मुक्ति दिलाता है।
- आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि: यह कवच धारण करने से साधक की आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि होती है और उन्हें देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाकर मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखता है।
- धन और समृद्धि: देवी का आशीर्वाद मिलने से आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
प्रत्यंगिरा रक्षा कवच का उपयोग
प्रत्यंगिरा रक्षा कवच का उपयोग साधारणतः विधिपूर्वक पूजन और अनुष्ठान के साथ किया जाता है। इसका उपयोग निम्नलिखित चरणों में किया जा सकता है:
- कवच की स्थापना: सबसे पहले कवच को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
- पूजन सामग्री: दीपक, धूप, फूल, अक्षत (चावल), सिंदूर और नैवेद्य (प्रसाद) का उपयोग करें।
- मंत्र जाप: प्रत्यंगिरा देवी के मंत्र का जाप करें। यह मंत्र साधारणतः “ॐ ह्रीं क्लीं प्रत्यंगिरायै नमः” “OM HREEM KLEEM PRATYANGIRE NAMAHA” होता है।
- ध्यान: देवी का ध्यान करते हुए उनकी कृपा और आशीर्वाद की कामना करें।
- कवच धारण: अंत में कवच को विधिपूर्वक धारण करें।
प्रत्यंगिरा रक्षा कवच के नियमित उपयोग से साधक को देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वे सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रहते हैं।
कवच धारण का दिन किसी भी शनिवार, ग्रहण या अमावस्या मे इस रक्शा कवच को धारण कर सकते है।