तीनो लोको की स्वामिनी माता भुवनेश्वरी साधना एक महत्वपूर्ण साधना मानी जाती है। ये १० महाविद्या मे से एक महाविद्या मानी जाती है। भुवनेश्वरी देवी को शक्ति का स्वरूप माना जाता है और वे समस्त ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री देवी हैं। इस साधना का उद्देश्य आध्यात्मिक उन्नति, मनोवांछित सिद्धियों की प्राप्ति और जीवन में सुख-समृद्धि की वृद्धि है। यहाँ भुवनेश्वरी साधना के बारे में विस्तृत विवरण दिया गया है:
भुवनेश्वरी देवी
भुवनेश्वरी देवी को ‘विश्वेश्वरी’ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘विश्व की ईश्वरी’। वे समस्त जगत की अधिष्ठात्री हैं और समस्त सृष्टि उनकी कृपा से चलती है। उनका स्वरूप अत्यंत सुंदर और मनमोहक होता है। वे चार भुजाओं वाली हैं और उनके हाथों में पाश, अंकुश, वरमुद्रा और अभयमुद्रा होती है।
भुवनेश्वरी साधना के लाभ
- आध्यात्मिक उन्नति: भुवनेश्वरी साधना करने से साधक को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है और उसके मन की अशांति समाप्त होती है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: यह साधना साधक की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती है और उसे मनोवांछित सिद्धियां प्रदान करती है।
- सुख-समृद्धि की प्राप्ति: भुवनेश्वरी साधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और वैभव की वृद्धि होती है।
- रक्षा और सुरक्षा: यह साधना साधक को सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से बचाती है।
भुवनेश्वरी साधना सामग्री
- Bhuvaneshwari yantra
- Bhuvaneshwari mala
- Devi shrangar
- Devi Aasan
- Siddha kaudi
- Siddha red chirami beads
- Parad gutika
- Bhuvaneshwari sadhana methods
- Bhuvaneshwari mantra
- Bhuvaneshwari Deeksha
साधना में सावधानियाँ
- पवित्रता: साधना के दौरान शारीरिक और मानसिक पवित्रता बनाए रखें।
- नियमितता: साधना को नियमित रूप से करने का प्रयास करें, यह अनियमितता से वांछित फल नहीं मिल सकता।
- श्रद्धा और विश्वास: साधना में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास होना आवश्यक है। भुवनेश्वरी देवी की कृपा से ही साधक को सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
भुवनेश्वरी साधना एक अत्यंत शक्तिशाली और फलदायी साधना है, जो साधक को सभी प्रकार की सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है।