अशून्य शयन पूजा
अशून्य शयन व्रत और पूजा एक धार्मिक अनुष्ठान है जो विशेष रूप से वैवाहिक जीवन की सुख-समृद्धि और पारिवारिक शांति के लिए किया जाता है। यह मुहुर्थ चातुर्मास की द्वितीया को आता है। ‘अशून्य’ का अर्थ होता है ‘रिक्त न होना’ और ‘शयन’ का अर्थ है ‘सोना’। यह पूजा मुख्य रूप से पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण को बनाए रखने के लिए की जाती है। इस व्रत को विशेषकर पुरुष करते हैं ताकि उनके घर-परिवार में खुशहाली बनी रहे और किसी भी प्रकार की नकारात्मकता का प्रभाव न पड़े।
अशून्य शयन पूजा के लाभ
- वैवाहिक जीवन में प्रेम: पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण बढ़ता है।
- पारिवारिक शांति: परिवार में शांति और सद्भाव बना रहता है।
- सुख-समृद्धि: घर में सुख और समृद्धि आती है।
- बाधाओं का निवारण: जीवन में आने वाली बाधाओं और कठिनाइयों का निवारण होता है।
- धार्मिक लाभ: धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- सौभाग्य में वृद्धि: सौभाग्य और भाग्य में वृद्धि होती है।
- स्वास्थ्य लाभ: स्वास्थ्य समस्याओं से राहत मिलती है।
- संतान सुख: संतान प्राप्ति और संतान की खुशहाली में सहायक होता है।
- कर्ज से मुक्ति: कर्ज और वित्तीय समस्याओं से राहत मिलती है।
- मन की शांति: मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति मिलती है।
- धन-धान्य की वृद्धि: घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
- शत्रुओं से सुरक्षा: शत्रुओं और बुरी शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।
- सफलता की प्राप्ति: विभिन्न कार्यों और प्रयासों में सफलता प्राप्त होती है।
- पारिवारिक प्रेम: परिवार के सभी सदस्यों के बीच प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
- धैर्य और साहस: धैर्य और साहस को बढ़ावा मिलता है।
- पेशेवर उन्नति: पेशेवर जीवन में उन्नति और सफलता प्राप्त होती है।
- भयमुक्ति: जीवन में मौजूद सभी प्रकार के भय और चिंताओं से मुक्ति मिलती है।
- रिश्तों में सुधार: पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों में सुधार होता है।
- आध्यात्मिक प्रगति: आध्यात्मिक उन्नति और आत्मा की शुद्धि होती है।
- सुखद यात्रा: यात्रा के दौरान सुरक्षा और सफलता सुनिश्चित होती है।
हम इस पूजा को योग्य पंडित द्वारा करवाते हैं। इस पूजा को ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों माध्यमों से करवा सकते हैं।