अचल सप्तमी व्रत
संतान का आशिर्वाद दिलाने वाली अचला सप्तमी व्रत कथा पूजन एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है जो माँ अचला को समर्पित है। यह व्रत शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत में माँ अचला की पूजा एवं उनकी कथा का पाठ किया जाता है। कथा के अनुसार, एक समय की बात है, एक ब्राह्मण विद्वान और नेक मनुष्य अपनी पत्नी के साथ बहुत ही खुश थे, लेकिन उनके पास संतान नहीं थी। वे निराश होकर वन में चले गए और अचला देवी की तपस्या करने लगे। उन्होंने देवी को प्रसन्न करने के लिए सात दिनों तक व्रत रखा। देवी अचला ने उनकी तपस्या को प्रसन्न देख उन्हें आशीर्वाद दिया और वे संतान के धन्य भाग्यशाली हो गए। इसके बाद, वे ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ बहुत संतुष्ट होकर घर लौटे और वहां उन्हें एक सुंदर और समृद्ध संतान की प्राप्ति हुई। इस दिन को अचल सप्तमी के रूप में मनाया जाता है और इस दिन को माँ अचला की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
अचला सप्तमी व्रत कथा पूजन के लाभ
- संतान प्राप्ति के लिए व्रत करने से लाभ मिलता है।
- सुख, समृद्धि, और सम्पन्नता की प्राप्ति होती है।
- आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन संपत्ति में वृद्धि होती है।
- आरोग्य और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है।
- मानसिक और आत्मिक शांति मिलती है।
- कर्मफल की प्राप्ति होती है और भगवान की कृपा मिलती है।
- धर्मिक उत्थान के लिए यह व्रत महत्वपूर्ण है।
- सभी कामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- जीवन में आने वाले कष्टों का नाश होता है।
- व्यक्ति को शुभकामनाएं और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
- धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- परिवार की सुरक्षा और समृद्धि होती है।
- कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- प्रेम और सम्मान मिलता है।
- विद्यार्थियों को शिक्षा में सफलता मिलती है।
- आत्मा की शुद्धि होती है और धार्मिक उत्थान में होता है।
- दुःखों का नाश होता है और जीवन में खुशियों की प्राप्ति होती है।
- कर्मों में सफलता प्राप्त होती है और कार्यों में बढ़ोतरी होती है।
- व्यक्ति को विपत्तियों से बचाव मिलता है और उसकी सुरक्षा होती है।
- इस व्रत से जीवन में आने वाली हर मंगल कार्यों में सफलता मिलती है।
यह पूजा योग्य पंडित द्वारा ही हम करवाते हैं, और हम इस पूजा को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से करवाते हैं।