अचला सप्तमी पूजा
अचला सप्तमी को रथ सप्तमी भी कहा जाता है और यह पर्व भगवान सूर्य को समर्पित है। यह माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन व्रत और पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखने और भगवान सूर्य की पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए किया जाता है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करना और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना अत्यंत शुभ माना जाता है।
अचला सप्तमी व्रत के लाभ
- स्वास्थ्य में सुधार: इस व्रत को करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- रोगों से मुक्ति: यह व्रत करने से गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है।
- आयु में वृद्धि: इस व्रत को करने से आयु में वृद्धि होती है।
- धन में वृद्धि: भगवान सूर्य की कृपा से धन में वृद्धि होती है।
- मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
- सुख-समृद्धि: जीवन में सुख और समृद्धि का वास होता है।
- पारिवारिक सुख: पारिवारिक जीवन में खुशहाली और शांति बनी रहती है।
- विद्या और बुद्धि में वृद्धि: विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है।
- संतान सुख: संतान की प्राप्ति और उनकी उन्नति होती है।
- नेत्र रोगों से मुक्ति: नेत्र संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- कार्यक्षेत्र में उन्नति: कार्यक्षेत्र में उन्नति और सफलता मिलती है।
- मनोकामना पूर्ति: सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- शत्रुओं का नाश: शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- भय और संकट से मुक्ति: सभी प्रकार के भय और संकट से मुक्ति मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- मुक्ति का मार्ग: मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- परम शांति: जीवन में परम शांति और संतुष्टि का अनुभव होता है।
यह पूजा योग्य पंडित द्वारा ही हम करवाते हैं, और हम इस पूजा को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से करवाते हैं।