बुढापे को रोकने वाली अमृतत्व साधना का उद्देश्य शरीर और मन को पुनः युवा और ऊर्जा से भरपूर बनाना होता है। इस साधना के माध्यम से व्यक्ति दीर्घायु, स्वास्थ्य और आंतरिक शांति प्राप्त करता है। अमृतत्व साधना एक पवित्र और शक्तिशाली साधना है, जिसे श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से निश्चित रूप से सफलता मिलती है। इसे नियमित रूप से करने से शरीर और मन दोनों को शक्ति और शांति प्राप्त होती है।
अमृतत्व साधना के लाभ:
- दीर्घायु: अमृतत्व साधना से दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है।
- अखण्ड स्वास्थ्य: यह साधना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाती है।
- आंतरिक शांति: साधना से मन को गहरी शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
- ऊर्जा का संचार: अमृतत्व साधना से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- अविनाशी आत्मा का ज्ञान: साधना से आत्मा की अविनाशीता का अनुभव होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: अमृतत्व साधना से आत्मिक उन्नति और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है।
- भय का नाश: साधना से सभी प्रकार के भय और चिंता का नाश होता है।
- सद्गुणों का विकास: यह साधना सद्गुणों और नैतिकता में वृद्धि करती है।
- आध्यात्मिक शक्तियों का जागरण: साधना से आध्यात्मिक शक्तियों का जागरण होता है।
- जीवन में संतुलन: अमृतत्व साधना जीवन के हर पहलू में संतुलन और सामंजस्य लाती है।
- आकर्षण और करिश्मा: साधना से व्यक्ति में आकर्षण और करिश्माई व्यक्तित्व का विकास होता है।
- मोक्ष की प्राप्ति: यह साधना व्यक्ति को मोक्ष और अंतिम मुक्ति की ओर ले जाती है।
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