मुख्ताभरण सप्तमी (संतान सप्तमी) पूजा
मुख्ताभरण सप्तमी का व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है। मुख्ताभरण सप्तमी व्रत का पालन करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके सभी कष्ट दूर होते हैं।
मुख्ताभरण सप्तमी व्रत के लाभ
- यह व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
- विश्वास किया जाता है कि भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से निःसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
- यह व्रत संतान की दीर्घायु, स्वास्थ्य और खुशी के लिए भी किया जाता है।
- मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान जीवन में सफलता और उन्नति प्राप्त करते हैं।
- यह व्रत पारिवारिक सुख-समृद्धि और कलह मुक्त जीवन के लिए भी किया जाता है।
- विश्वास है कि इस व्रत से परिवार में प्रेम, स्नेह और सद्भाव बना रहता है।
- यह व्रत ग्रह दोषों को दूर करने और नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है।
- मान्यता है कि इस व्रत से व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्मविश्वास मिलता है।
- यह व्रत विद्या प्राप्ति और बुद्धि के विकास के लिए भी शुभ माना जाता है।
- विश्वास है कि इस व्रत से व्यक्ति को धन-दौलत और संपत्ति प्राप्त होती है।
- यह व्रत रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य प्राप्ति के लिए भी किया जाता है।
- मान्यता है कि इस व्रत से व्यक्ति को दीर्घायु प्राप्त होती है।
- यह व्रत शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए भी शुभ माना जाता है।
- विश्वास है कि इस व्रत से व्यक्ति को साहस और पराक्रम मिलता है।
- यह व्रत मनोकामना पूर्ति के लिए भी किया जाता है।
- मान्यता है कि इस व्रत से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।
- यह व्रत पापों से मुक्ति और पुण्य प्राप्ति के लिए भी किया जाता है।
- विश्वास है कि इस व्रत से मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मिलता है।
- यह व्रत स्त्रियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
- मान्यता है कि इस व्रत से स्त्रियों को सौभाग्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
हम इस पूजा को योग्य पंडित द्वारा करवाते हैं। इस पूजा को ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों माध्यमों से करवा सकते हैं।