भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाली माता प्रत्यांगिरा देवी. माता प्रत्यांगिरा देवी का उल्लेख पुराणों और तंत्र शास्त्रों में मिलता है। वे देवी दुर्गा की स्वरूप भी मानी जाती हैं और ये हर तरह की कामनाओं की पूर्ति करने वाली शक्तिशाली देवी मानी जाती है। प्रत्यांगिरा देवी की पूजा और साधना से साधक अत्यधिक शक्तिशाली बन सकता है और उनकी कृपा से अनेक समस्याओं का समाधान पा सकता है।
व्रत विधि:
- प्रत्यांगिरा देवी का व्रत विधि सरल होता है। इसमें सुबह उठकर नित्यकर्म करने के बाद माता प्रत्यांगिरा की मूर्ति या छवि के समक्ष जाकर पूजा की जाती है।
- व्रत के दौरान नियमित रूप से प्रार्थना, ध्यान और मंत्र जप किया जाता है।
- व्रत के दौरान व्रती को सात्विक भोजन करना चाहिए।
प्रत्यांगिरा भोग:
- प्रत्यांगिरा देवी को नारियल, दूध, मिष्ठान्न, फल आदि का भोग चढ़ाया जाता है।
- इसके अलावा, व्रत के दौरान भोग के रूप में गुड़, गीले चावल, गीली दाल आदि को भी चढ़ाया जा सकता है।
प्रत्यांगिरा मंत्र:
- “ॐ ह्रीं क्रीं प्रत्यांगिरायै नमः” “OM HREEM KREEM PRATYANGIRE NAMAHA” यह मंत्र प्रत्यांगिरा देवी का प्रमुख मंत्र है और इसका जाप करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।
प्रत्यांगिरा लाभ:
- शत्रुओं से सुरक्षा
- सभी कष्टों का निवारण
- धन की प्राप्ति
- स्वास्थ्य और लंबी आयु
- पुत्र प्राप्ति
- विवाह सम्बंधी समस्याओं का समाधान
- निरोगी जीवन
- मान-सम्मान
- सफलता
- विद्या और बुद्धि की प्राप्ति
- धर्म की पालना
- मोक्ष की प्राप्ति
दिन:
- प्रत्यांगिरा देवी का व्रत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है।
- इसके अलावा किसी भी मंगलवार को भी व्रत रखा जा सकता है।
- इस दिन व्रती को नित्यकर्म के बाद उठकर स्नान करना चाहिए और फिर पूजा का आरंभ करना चाहिए।